दी टॉप टेन न्यूज़ देहरादून
देहरादून-दुनियाभर में आज 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया गया। संचार माध्यम के तौर पर रेडियो हमेशा चर्चा का विषय रहा है एक समय था जब रेडियो सूचना का एक बड़ा माध्यम था आपदा और आपातकालीन स्थिति में रेडियो का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता था इसी कारण रेडियो ने अपनी एक अलग पहचान बनाई।
रेडियो दिवस मनाने का उद्देश्य इस दिन लोगों को रेडियो के महत्व के बारे में बताया जाना है। टीवी से पहले एक ऐसा वक्त था, जब रेडियो को संचार का सबसे बड़ा माध्यम माना जाता था और आज के बदलते दौर में भी रेडियो विभिन्न माध्यमों से सुना जाता है।
क्या है विश्व रेडियो दिवस का इतिहास
विश्व रेडियो दिवस के इतिहास की बात करे तो 13 फरवरी 2010 को विश्व रेडियो दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया था। इसके बाद साल 2011 में यूनेस्को के सदस्य देशों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया और साल 2012 में विश्व रेडियो दिवस मनाने के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंजूरी दे दी। इसी वक्त से हर साल 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जा रहा है।
13 फरवरी को ही 1946 में अमेरिका में पहली बार रेडियो ट्रांसमिशन से संदेश भेजा गया था। इसी दिन 13 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र रेडियो की शुरुआत हुई थी। इसलिए संयुक्त राष्ट्र रेडियो की वर्षगांठ के दिन वर्ल्ड रेडियो डे मनाया जाता है।
विश्व रेडियो दिवस की थीम
साल 2023 की विश्व रेडियो दिवस 2023 की थीम है- “रेडियो और शांति”। ये थीम रेडियो की तकनीक में तेजी से बदलाव और प्रगति पर केंद्रित है। यह लोगों को नई वास्तविकताओं के अनुकूल बनाने में रेडियो के महत्व पर भी प्रकाश डालता है। इस थीम के जरिए ये बताने की कोशिश की गई है कि संचार के भविष्य को आकार देने में रेडियो महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
भारत में क्या है रेडियो का इतिहास
भारत में सबसे पहले रेडिया प्रसारण जून 1923 में बॉम्बे के रेडियो क्लब ने किया था। ठीक इसके पांच महीने बाद कलकत्ता (कोलकत्ता) रेडियो क्लब की स्थापना की गई थी। इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी ने 23 जुलाई 1927 को अस्तित्व में आई। 1930 में इसका राष्ट्रीयकरण हुआ और तब इसका नाम भारतीय प्रसारण सेवा (इण्डियन ब्राडकास्टिंग कॉरपोरेशन) रखा गया। बाद में 1957 में इसका नाम बदल कर आकाशवाणी रखा गया था।
वर्तमान में रेडियो का महत्व
आज भी सूचना और मनोरंजन के क्षेत्र में रेडियो का महत्व कम नही हुआ है आज हम सूचना क्रांति और इंटरनेट के दौर में इंटरनेट के माध्यम से किसी भी शहर और देश के रेडियो को अपने मोबाईल फोन पर भी सुन सकते है।
और शहरों के जाम में फंसने पर अपने कार में सफर कर रहे लोग भी अक्सर एफएम रेडियो सुनना पसंद करते हैं हालांकि समय के साथ रेडियो के प्रस्तुतीकरण पर भी अब काफी परिवर्तन देखने को मिलते हैं आज के दौर में भी कई युवा ऐसे हैं जो रेडियो जॉकी बनना पसंद करते हैं।