डेंगू के डंक से जनता हलकान,सरकार नही ले रही संज्ञान

नीता कांडपाल

दी टॉप टैन न्यूज़(देहरादून)- इस समय उत्तराखंड राज्य में डेंगू का कहर बरप रहा है। खासकर देहरादून और पहाड़ी इलाकों में लोग बुखार से तेजी से संक्रमित हो रहे है। जिसमें वायरल बुखार के साथ-साथ डेंगू का बुखार भी तेजी से फैल रहा है।आलम यह है कि कोई कॉलोनी या गली मोहल्ला नहीं बचा जिसमे बुखार पीड़ित ना हो।

अब बड़ा सवाल यह उठता है कि  जब डेंगू महामारी के रूप में फैल रहा है तो प्रदेश का स्वास्थ्य मंत्रालय जो स्वयं मुख्यमंत्री के पास है वह अभी तक इस विकराल होती समस्या पर संजीदा क्यो नही है। अभी तक इस विषय पर मुख्यमंत्री द्वारा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक क्यों नहीं की गई। स्वास्थ्य विभाग और स्वयं राज्य सरकार के स्तर पर डेंगू से बचाव डेंगू बुखार की पहचान, डेंगू बुखार के लक्षण, रोकथाम इत्यादि पर प्रचार-प्रसार क्यों नहीं किया जा रहा है। जब तक विभिन्न माध्यम से डेंगू बीमारी से बचाव की जागरूकता का प्रचार प्रसार नही किया जाएगा।तब तक प्रदेश की जनता डेंगू के जानलेवा डंक से कैसे बच पाएगी।

डेंगू जंहा प्रदेश की राजधानी देहरादून में बुरी तरह पांव पसार चुका है। वही प्रदेश के कई इलाकों से  ही डेंगू की वजह से आमजन के काल के गाल में  समाने की खबरे आ रही है।डेंगू के इलाज को लेकर एक तरफ जंहा सूबे के सरकारी अस्पतालों में की गई चिकित्सा व्यवस्थाएं ना काफी है। वही डेंगू से पीड़ित लोग निजी अस्पतालों में भारी भरकम फीस चुका इलाज कराने को मजबूर है और इस कारण राजधानी स्थित कुछ बड़े निजीअस्पताल जमकर चांदी काट रहे है।डेंगू की जांच के लिए भी लोगो को प्राइवेट पैथलॉजी का रुख करना पड़ रहा है। जिसके चलते गरीब जनता इस बीमारी की वजह से आर्थिक चोट भी खा रही है। लेकिन प्रदेश की सरकार ने लगातार बढ़ते डेंगू के मामलों के बावजूद अभी तक इस बीमारी की रोकथाम हेतु कोई ठोस एक्शन नही लिया है। जबकि खुद मुख्यमंत्री प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्रालय को दबाए तो बैठे है लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बेहतर करने की ओर संजीदा नही दिख रहे है।

एक ओर डेंगू से बचाव को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल स्वयं तमाम राष्ट्रीय न्यूज़ चैनलों व अखबारों के माध्यम से आम जनता को जागरूक कर रहे है जबकि उत्तराखण्ड में राजधानी सहित प्रदेश के कई जिलों में डेंगू के मामले आने व इस बीमारी से सूबे  में कई मरीजो की मौत की खबर मिलने के बावजूद प्रदेश के मुखिया इस डेंगू के डंक को हल्के में ले रहे है। जंहा अभी तक किसी भी मंच से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने डेंगू बीमारी से बचाव को लेकर कोई अपील या जागरूकता फैलाने के प्रयास नही किये है। जबकि प्रदेश की जनता डेंगू के डंक से हलकान होए जा रही है।प्रदेश के कुछ गिने चुने बड़े अस्पतालों में डेंगू वार्ड की स्थापना कर इस बीमारी से बेहतर इलाज दिए जाने की औपचारिकता सरकार व स्वास्थ्य महकमे द्वारा पूरी कर दी गई। जबकि आये दिन डेंगू के डंक से प्रदेश के मरीज दम तोड़ रहे है।जबकि सबसे गम्भीर विषय यह है कि सरकार के स्वास्थ्य महकमे के पास डेंगू की बीमारी से प्रभावित लोगों व उससे हो रही मौतों का सटीक आंकड़ा अभी तक नही है। इसका बड़ा कारण यह भी है अधिकतर लोग सरकारी अस्पतालों की लचर व्यवस्थाओं को छोड़ डेंगू का इलाज कराने को निजी अस्पतालों के रुख कर रहे है।अब प्रदेश के मुखिया आखिर कब इस गम्भीर व तेजी से फेल रही  बीमारी की  रोकथाम को लेकर संजीदा होंगे कुछ कहा नही जा सकता। फिलहाल प्रदेश की जनता डेंगू के डंक से हलकान दिख रही है।

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