चम्पावत- चम्पावत जिले के देवीधुरा माँ बाराही धाम में इस बार भी रक्षाबंधन के दिन बग्वाल मेले का आयोजन हुआ। चार खाम सात तोको के मध्य करीब दस मिनट तक चले फलों व फूलों के इस ऐतिहासिक युद्ध मे इस बार कुल 122 रणबाँकुरे घायल हुए। हर साल की तरह इस साल भी हजारों श्रद्धालु इस ऐतिहासिक पाषाण युद्ध के साक्षी बने।
चम्पावत जिले के देवीधुरा माँ बाराही धाम में रक्षाबंधन यानी आज के दिन खोलिखाड़ दुर्बाचौड मैदान में ऐतिहासिक बग्वाल युद्ध खेला गया। मंदिर पुजारी से युद्ध का आदेश मिलते ही लमगड़िया,चम्याल,वालिक व गहड़वाल खाम के रणबाँकुरे ढोल नगाड़ों के साथ माँ बाराही के युद्ध मैदान में पहुँच दो दलों में बंट फलों व फूलों से बग्वाल युद्ध का प्रारम्भ किया। इस साल का बग्वाल युद्ध करीब दस मिनट के करीब खेला गया।मंदिर पुजारी के युद्ध समाप्ति के संखनाध के साथ ही बग्वाल युद्ध को रोक दिया गया।जिसमें इस बार कुल 122 रणबाँकुरे घायल हुए है। दोपहर के बाद शुरू हुए बग्वाल युद्ध को देखने उत्तराखण्ड सहित दूर दूर से हजारों श्रद्धालु इस बार भी माँ बाराही के धाम देवीधुरा पहुँचे। विश्व प्रसिद्ध देवीधुरा बग्वाल युद्ध पहले जंहा पत्थरो से खेला जाता था वही मंदिर समिति ने आपसी सहमति से इस युद्ध को फल व फूलों से खेलना प्रारम्भ कर दिया। रक्षा बंधन के समय लगभग 15 दिनों तक चलने वाले देवीधुरा मेले में दूर दूर से लोग चम्पावत हर साल पहुँचते है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माँ बाराही को इस युद्ध के माध्यम से चढ़ने वाले रक्त की पूर्ति होने के साथ ही इस पौराणिक बग्वाल युद्ध की समाप्ति के आदेश हो जाता है। प्राचीन समय मे इस धाम में नरबलि की परम्परा थी जिसे समय के साथ समाप्त कर पत्थर युद्ध यानी बग्वाल युद्ध का प्रारम्भ हुआ। जो कि अपनी प्राचीन परम्पराओ के हिसाब से कुछ परिवर्तनों के बाद आज भी जारी है।
चंपावत के ऐतिहासिक बग्वाल मेले के साक्षी बनने जंहा पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी,पूर्व केंद्रीय मंत्री व वर्तमान अल्मोड़ा सांसद अजय टम्टा,विधायक पूरन फर्त्याल,विधायक राम सिंह कैड़ा, लक्ष्मण सिंह लमगड़िया,खुशाल सिंह अधिकारी,सुभाष बगौली सहित सैकड़ों की तादात में जनता मौजूद रही।वही माँ बाराही के आशीर्वाद को प्राप्त कर सैकड़ो लोगो ने ऐतिहासिक बग्वाल मेले का आनंद लिया।