योग विज्ञान विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा में 28 व 29 अप्रैल, 2025 को अर्थ गङ्गा: संस्कृति, विरासत, एवं पर्यटन के अंतर्गत “योग विज्ञान एवं अध्यात्म” विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन हुआ
दी टॉप टेन न्यूज़/ देहरादून
अल्मोड़ा : इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि प्रोफेसर सुनील कुमार जोशी (पूर्व कुलपति, आयुर्वेद विश्वविद्यालय),सत्र अध्यक्ष प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट (परिसर निदेशक), विशिष्ट अतिथि प्रो. जगत सिंह बिष्ट (पूर्व कुलपति/संकायाध्यक्ष, कला), विशिष्ट अतिथि प्रो. मधुलता नयाल, विशिष्ट अतिथि डॉ.रजनी नौटियाल (केंद्रीय विश्वविद्यालय हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय, गढ़वाल), विशिष्ट अतिथि प्रो सुशील कुमार जोशी, विशिष्ट अतिथि रूप में कुलसचिव डॉ देवेंद्र सिंह बिष्ट, कॉन्फ्रेंस के संयोजक डॉ. नवीन भट्ट, सह संयोजक डॉ लल्लन कुमार सिंह आदि ने सरस्वती चित्र एवं भारत माता चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया।
इसके उपरांत विभाग द्वारा अतिथियों को सम्मानित किया गया। संगीत विभाग द्वारा स्वागत गीत का गायन किया।
कॉन्फ्रेंस के संचालन रजनीश जोशी ने करते हुए कॉन्फ्रेंस के सत्रों की जानकारी दी।
कार्यक्रम का उद्घाटन ऑनलाइन रूप से माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने किया। उन्होंने योग विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित कॉन्फ्रेंस के लिए बधाइयां दी। उन्होंने कहा कि योग सनातन परंपरा एवं भारत के आध्यात्मिक चेतना को बाहर लाने का विशिष्ट प्रयास है। सम्पूर्ण विश्व में योग की बातें हो रही है । भारत की इस पुरातन योग परंपरा को आगे ले जाने के लिए कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौर में योग विज्ञान विभाग ने उत्कृष्ट प्रयास किया है। यह विभाग बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। उन्होंने आशा जताई कि आगामी सत्रों में प्रेरणादायी संवाद होंगे।उन्होंने योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ नवीन भट्ट को बधाइयां दी।
कॉन्फ्रेंस के संयोजक डॉ नवीन भट्ट ने अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम की विस्तार से रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि कुलपति प्रो सतपाल सिंह बिष्ट के संरक्षण में कॉन्फ्रेंस आयोजित हो रही है। स्वामी विवेकानंद जैसे आध्यात्मिक पुरुषों की इस भूमि में योग विज्ञान विभाग ने योग के क्षेत्र में कई कार्य किए हैं। आज इस सेमिनार में आस्ट्रेलिया, चीन अफ्रीका आदि के योग से जुड़े हुए विद्वान अपने व्याख्यान देंगे और भारत के आध्यात्मिक चेतना, विज्ञान और योग के संबंध में विस्तार स्र्चाके करेंगे। उन्होंने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
विशिष्ट अतिथि रूप में पूर्व कुलपति और संकायाध्यक्ष,कला प्रो जगत सिंह बिष्ट ने कहा योग मूल रूप से ‘युज’ धातु से बना है। जिसका अर्थ जोड़ना है। उन्होंने योग के आठ अंगों की चर्चा करते हुए कहा कि यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान , समाधि आदि का पालन योग में किया जाता है तो शरीर एकभाव में आता है। योगी यदि योग का पालन करता है तो स्वयं को ढूंढता है। मैं क्या कहूं? क्या है? यह चिंतन करता है। हम एकांत क्षण में चिंतन करते हैं। योग और आध्यात्म एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, दोनों का भाव एक ही है। इन दोनों का भाव यही है कि स्वयं से जुड़ना, स्वयं को तलाशना, स्वयं की खोज करना। योग, आध्यात्म का एक सशक्त अंग है। दोनों का उद्देश्य एवं मार्ग एक ही है। उन्होंने आगामी सत्रों में इन सभी बिंदुओं पर चर्चा किये जाने की आशा जताई। उन्होंने कहा कि आज उपभोक्तावादी युग में योग की बहुत आवश्यकता है। उन्होंने विभाग को बधाइयाँ दी।
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर सुशील कुमार जोशी (संकायाध्यक्ष, विज्ञान ) ने कहा हम भारत के इस पारंपरिक ज्ञान को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य करने लगे हैं और योग विभाग इस दिशा में बेहतर कार्य कर रहा है। इस विषय पर आगामी सत्रों में अच्छे डिस्कशन होंगे और वह डिस्कशन निकलकर बाहर आएंगे। जो समूचे समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे।
विशिष्ट अतिथि रूप में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉक्टर डी.एस. बिष्ट ने विश्वविद्यालय की ओर से सभी का स्वागत किया और कहा कि योग विज्ञान विभाग की इस संगोष्ठी से जो भी आउटपुट निकलेंगे वह समाज के लिए बेहतर साबित होंगे। उन्होंने योग विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित योग, विज्ञान, अध्यात्म विषय को मानवजाति के लिए एक नए युग का प्रारंभ बताया और कहा कि हम इस सबके साक्षी हैं। उन्होंने माननीय कुलपति प्रो सतपाल सिंह बिष्ट के द्वारा किये जा रहे नवाचार और कार्यों की चर्चा की।
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर मधुलता नयाल ने अपने उद्बोधन में कहा कॉन्फ्रेंस के का विषय एक महत्वपूर्ण विषय है और यहां पर हम सभी इसपर चर्चा करने के लिए उपस्थित हैं। योग और विज्ञान दोनों ही चित्रवृत्ति का निरोध करते हैं। योग चित्तवृत्तियों का निरोध करता है तो मनोविज्ञान आत्मा का विज्ञान है, मनोविज्ञान इसका अध्ययन करता है। हमारा बदलता व्यवहार योग और मनोविज्ञान द्वारा ही सही दिशा में लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शांति प्राप्त करने के लिए योग आध्यात्मिक और विज्ञान तीनों की ही आवश्यकता है जिनकी चर्चा आगामी सत्रों में होगी।
विशिष्ट अतिथि रूप में प्रोफेसर रजनी नौटियाल ने कहा कि जो व्यक्ति योग आसन का अनुभव नहीं करते वो इनको नहीं जान सकते। योग, विज्ञान आध्यात्म की आज आवश्यकता है। आगामी सत्रों में योग, विज्ञान और आध्यात्म पर विस्तार से मंथन होगा।इस विषय पर शोध कार्य आवश्यक हैं।
डीन एकेडमिक प्रोफेसर अनिल कुमार यादव ने कहा कि आज की जिंदगी में योग आवश्यक है।किंतु उनका नियमों से पालन होना चाहिए। योग विभाग की सराहना करते हुए कहा कि इस विभाग की जागरूकता है कि आज घर-घर में योग हो रहा है। यह जीवन का महत्वपूर्ण अंग है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हमें योग करना चाहिए। शरीर यदि स्वस्थ नहीं है तो हम स्वस्थ नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया योग की तरफ जा रही है।आगामी सत्रों में इस पर फीडबैक लिए जाने की बात कही।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर सुनील कुमार जोशी (पूर्व कुलपति, आयुर्वेद विश्वविद्यालय) ने कहा कि विज्ञान हमें अवसर प्रदान करता है और योग हमें उत्सव प्रदान करता है। जहां एक का अंत हो वह एकांत है। योग द्वैत से अद्वैत की ओर ले जाता है। योग सभी परेशानियों का मुक्त करता है, योग चित्रवृत्तियों का निरोध करता है। यदि हम योग को समझना चाहें तो योग जोड़ने की यात्रा है। यह अच्छाई को जोड़ने की यात्रा है। शरीर स्वस्थ है तो इंद्रियां स्वस्थ हैं। शरीर, इन्द्रियां, मानसिक स्थिति, आत्मा यदि ठीक है तो हम बेहतर तरीके से कार्य कर पाएंगे। उन्होंने आत्मा की शुद्धि एवं प्रसन्नचित व्यवहार में योग की उपयोगिता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि समूचा विश्व योग की तरफ देख रहा है। आज योग को वैज्ञानिकता की दृष्टि से देखे जाने की जरूरत है और योग को लेकर अंतर विषयों में शोध होने चाहिए। उन्होंने योग एवं आयुर्वेद दोनों की चर्चा रखी।
अध्यक्षता करते हुए परिसर निदेशक प्रोफेसर प्रवीण सिंह बिष्ट ने कहा कि योग का हमारे जीवन में योगदान है। हमें सभी विषयों को योग से जोड़ना है। सभी योग को अपना रहे हैं।हिमालय के संदर्भ में उन्होंने कहा की हिमालय योग आध्यात्मिक का केंद्र रहा है। पूरा उत्तराखंड योग प्रदेश के रूप में जाना जाए, इसके लिए यह विभाग एक महत्वपूर्ण कड़ी हो सकता है। उन्होंने योग विभाग के कार्यों की प्रशंसा की।
उद्घाटन सत्र के उपरांत तकनीकी सत्र संचालित हुए। संचालन रजनीश जोशी और रेनू ने संयुक्त रूप से किया।
उद्घाटन सत्र के उपरांत समानांतर रूप से दो-दो सत्र संचालित हुए। जिसके ऑनलाइन प्रथम सत्र में अध्यक्ष प्रो इला साह तथा दूसरे सत्र में डॉ. लक्ष्मी नारायण अध्यक्ष रहे।
ऑफलाइन सत्रों में पहले सत्र में अध्यक्षता प्रो रिजवाना सिद्धिकी, रिसोर्स पर्सन प्रो कंचन जोशी, सह अध्यक्ष डॉ देवेंद्र धामी रहे तथा दूसरे ऑफलाइन सत्र में प्रो देवसिंह पोखरिया, रिसोर्स पर्सन डॉ विनोद नौटियाल रहे। तृतीय सत्र में प्राणि हीलिंग की विशेषज्ञ डॉ शैली ने संबोधन दिया। इस सत्र में अध्यक्ष प्रो मधुलता नयाल, सह अध्यक्षता डॉ तेजपाल सिंह ने की।
इस अवसर पर सेमिनार के सह संयोजक डॉ लल्लन कुमार सिंह, हेमलता अवस्थी, डॉक्टर गिरीश अधिकारी, डॉक्टर पूजा पांडे,रेनू तिवारी, भावना, डॉक्टर कालीचरण,डॉक्टर सीताराम, डॉ सुनीता कश्यप, डॉ कविता सिजवाली, मीना, रॉबिन हिमानी, भावेश पांडे , आशीष संतोलिया ने सहयोग दिया।
इस संगोष्ठी में अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो शेखर जोशी, प्रोफेसर देव सिंह पोखरिया, प्रो इला साह, परीक्षा नियंत्रक डॉ नंदन सिंह बिष्ट, पूर्व परीक्षा नियंत्रक डॉ मुकेश सामंत, प्रो रिजवाना सिद्दीकी (संकायाध्यक्ष, शिक्षा), प्रो भीमा मनराल, प्रो ज्योति जोशी, डॉ सबीहा नाज, डॉ देवेंद्र धामी, डॉ पारुल सक्सेना, डॉ मनोज बिष्ट, डॉ कुसुमलता आर्या, डॉ साक्षी, लियाकत अली डॉ रामचंद्र मौर्य, डॉ तेजपाल सिंह, डॉ महेंद्र मेहरा मधु, डॉ धारा बल्लभ पांडे, डॉ लक्ष्मी वर्मा, डॉ खगेन्द्र खोलिया, डॉ ममता जोशी, सहायक लेखाधिकारी आर एस बिष्ट, हेम पांडे, डॉ गिरजा शंकर पांडे, डॉ हिमानी बिष्ट, डॉ अरुण कलखुंडिया, डॉ सरिता, डॉ पूरन जोशी, डॉ अरविंद यादव के साथ विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, संकायाध्यक्ष, विद्यार्थी, शिक्षक, योग विभाग के सभी विद्यार्थी एवं गणमान्यजन उपस्थित रहे।