दी टॉप टेन न्यूज़ /देहरादून
देहरादून: महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा उत्तराखण्ड, झरना कमठान ने समग्र शिक्षा उत्तराखण्ड परिसर में “रतब्याणी” ई-मैगजीन के प्रथम संस्करण का विधिवत विमोचन किया। इस अवसर पर निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, बन्दना गर्ब्याल ने महानिदेशक का स्वागत किया और इस ई-मैगजीन की रूपरेखा और विस्तार पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस नवाचार के प्रयास से एससीईआरटी उत्तराखण्ड के शिक्षा में तकनीकी अनुप्रयोग के माध्यम से शैक्षणिक संसाधनों को अधिकतम लोगों और जनमानस तक पहुँचाने का लक्ष्य है। यह पत्रिका प्रतिवर्ष दो संस्करणों में प्रकाशित की जाएगी।
महानिदेशक झरना कमठान ने इस अवसर पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह एक सराहनीय प्रयास है, जिसे और अधिक विस्तारित करने की आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षा से जुड़े सभी समुदायों का इसमें योगदान लिया जाए, ताकि समाज और शिक्षा के बीच सहभागिता को और मजबूती मिल सके। उन्होंने इस ई-मैगजीन में स्थानीय सरोकारों को भी जोड़ने पर बल दिया।
विमोचन कार्यक्रम में निदेशक माध्यमिक शिक्षा, लीलाधर व्यास अपर परियोजना निदेशक डॉ. मुकुल सती, अपर निदेशक रघुनाथ आर्य, गढ़वाल मंडल अपर निदेशक एस.बी. जोशी, अपर निदेशक एस सी ई आर टी आशा रानी पैन्यूली, संयुक्त निदेशक पदमेन्द्र सकलानी, संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी, उप राज्य परियोजना निदेशक मदन मोहन जोशी, स्टाफ ऑफिसर समग्र शिक्षा भगवती मैदोली, प्रशासनिक अधिकारी अमित कोठियाल समेत कई अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। सभी ने इस अनूठे प्रयास के लिए निदेशक बन्दना गर्ब्याल की सराहना की।
इस ई-मैगजीन को विभिन्न शैक्षणिक प्लेटफॉर्म्स पर पब्लिश किया जाएगा, जहाँ पाठक वेबलिंक और क्यूआर कोड के माध्यम से ई-संसाधनों तक पहुंच बना सकेंगे। अपर निदेशक ईस सी ई आर टी और इस पत्रिका की प्रमुख लीड आशा रानी पैन्यूली ने सभी संकाय सदस्यों को एक प्रेरणा बनकर आगे बढ़कर कार्य सम्पादन करने के लिए लगातार प्रोत्साहित किया। इस पत्रिका के विकास एवं तकनीकी अनुप्रयोग में प्रवक्ता रमेश बडोनी एससीईआरटी,आईटी विभाग ने योगदान दिया है, जबकि इसका संपादन प्रवक्ता डॉ अवनीश उनियाल द्वारा किया गया है।
महानिदेशक झरना कमठान ने सभी लेखकों और तकनीकी समूह को बधाई दी और सुझाव दिया कि आने वाले संस्करणों में और भी अधिक नवाचारों को समाहित किया जाए। सीमैट के प्रोफेशनल डॉ. मोहन बिष्ट ने इस प्रयास की सराहना करते हुए इसे अपने संस्थान में भी अपनाने पर जोर दिया। इस पत्रिका के शीर्षक “रतब्याणी” की विशेष रूप से प्रशंसा की गई, जिसका हिंदी भाव “ब्रह्म मुहूर्त” अर्थात रात के अंतिम प्रहर का समय बताया गया है।
इस मौके पर समग्र शिक्षा के कर्मचारी और कई विभागीय अधिकारी भी उपस्थित रहे, जिन्होंने इस प्रयास की प्रशंसा की।
वहीं महानिदेशक झरना कमठान ने सुझाव देते हुए कहा कि शिक्षा से जुड़े सभी समुदायों का इसमें योगदान लिया जाए, ताकि समाज और शिक्षा के बीच बेहतर सहभागिता हो सके।स्थानीय सरोकारों का समावेश: महानिदेशक ने ई-मैगजीन में स्थानीय और सांस्कृतिक सरोकारों को भी जोड़ने पर बल दिया। “रतब्याणी” शीर्षक का महत्व: मैगजीन का शीर्षक “रतब्याणी” है, जिसका हिंदी भाव “ब्रह्म मुहूर्त” या रात्रि के अंतिम प्रहर का समय है। इसे ज्ञान की शुरुआत का प्रतीक माना गया है।भविष्य के संस्करण: अपर निदेशक एस सी ई आर टी,अजय नौडियाल ने अपने संदेश मे इस संसाधन को एक सफल प्रयास के रूप मे लिया जबकि महानिदेशक ने इस ई-मैगजीन के अगले संस्करणों में और नवाचारों को शामिल करने का सुझाव दिया, जिससे इसका विस्तार हो सके।