उद्यान घोटाले मामले में प्रदेश की राजनीति गरमाई,विधायक प्रमोद नैनवाल ने की प्रेस कांफ्रेंस तो गरिमा दासोनी ने उठाए सवाल

 

दी टॉप टेन न्यूज़ देहरादून

रानीखेत/देहरादून :दो दिन पहले नैनीताल हाईकोर्ट ने उद्यान घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश जारी किए थे रानीखेत से भाजपा विधायक डॉ प्रमोद नैनवाल का नाम उद्यान घोटाले में आने के बाद इस मामले को लेकर प्रदेश की राजनीति गरमाने लगी है. क्योंकि आदेश में भाजपा विधायक प्रमोद नैनवाल के भाई सतीश नैनवाल को सेब के पौधे दिए जाने का जिक्र किया गया है।

इस मामले पर कांग्रेस ने भाजपा सरकार को घेरना शुरू कर दिया है तो वही विधायक प्रमोद नैनवाल ने भी एक प्रेस वार्ता के माध्यम से अपना पक्ष मीडिया के सामने रखा है। विधायक का कहना है कि उद्यान विभाग की एक योजना के अनुसार सेब के पेड़ों में 50 % की सब्सिडी सरकार की ओर से दी गयी थी जिसके आधार पर उनके भाई सतीश नैनवाल ने 2400 पेड़ लगाए थे। उन्होंने कहा की ये सभी पेड़ प्रगतिशील किसान समिति के द्वारा नियमानुसार लगाए गए है।

विधायक प्रमोद नैनवाल ने इस आरोप को निराधार बताते हुए कहा है कि यह आरोप एक षड्यंत्र के तहत उनकी छवि को धूमिल करने के लिए लगाए गए हैँ जिन पेड़ों कि बात याचिकाकर्ता ने की है वह उनके नहीं बल्कि उनके भाई सतीश नैनवाल द्वारा लिए गए हैँ और उनका नाम इस पूरे प्रकरण में बेवजह लिया जा रहा है।

उन्होंने कहा की इस साल जनवरी में ही पौधरोपण हुआ है और नियमनुसार 2 साल बाद अंशदान जमा किया जाता है। इसलिए समय आने पर अंशदान जमा करा दिया जायेगा। उन्होंने कहा है कि इस मामले कि पूरी जांच होनी चाहिए और उन्हें केवल बदनाम करने के इरादे से इस मामले में घसीटा जा रहा है, जबकि पौधरोपण उनके भाई सतीश नैनवाल और अन्य किसानो दवारा प्रगतिशील किसान समिति के बैनर टेल हुआ है।

वहीं इस मामले उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी जो कि अपने तेज तर्रार तेवरों के लिए जानी जाती है ने प्रमोद नैनवाल की प्रेस कान्फ्रेस पर सवाल उठाते हुए इस मामले में कहा कि उद्यान विभाग में हुए भ्रष्टाचार पर जिस तरह से रानीखेत से भाजपा विधायक प्रमोद नैनवाल ने स्वयं को बेकसूर बताया है वह परोक्ष रूप से उच्च न्यायालय का अपमान है उन्होंने कहा की नैनवाल अपनी कुक्कृतियों का ठीकरा दूसरों पर फोड़ने का प्रयास कर रहे हैं यदि नैनवाल इतने ही पाक साफ होते तो फिर संगठन ने उन्हें मुख्यालय से प्रेस वार्ता करने की इजाजत क्यों नहीं दी और उन्हें एक निजी होटल से प्रेस वार्ता क्यों करनी पड़ी?

दसोनी ने उद्यान विभाग में हुए पौधा वितरण के घोटाले पर प्रकाश डालते हुए कहा की पूरे प्रकरण में सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती की जनहित याचिका में मुख्य उद्यान अधिकारी नैनीताल आर के सिंह को भी उच्च न्यायालय ने पार्टी बनाया था,जिसके जवाब में आर के सिंह द्वारा न्यायालय को को काउंटर एफिडेफिट कोर्ट में दिया गया वहां पर उसने कोर्ट को ये बताया कि उसने सतीश नैनवाल को मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी मिशन से 2402 पौधे एप्पल क्लोनल रूट स्टॉक के दिए,यहां रोचक बात यह है कि प्रदेश में इस योजना में इसके एक पौधे की कीमत 465 रुपया है,और मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी मिशन में 50% अंशदान विधायक के भाई का तो 50% अंशदान विभाग द्वारा दिया जाना था,लेकिन विधायक के भाई द्वारा दिए जाने वाले अंशदान का कहीं कोई अता पता ही नहीं है।

इसके स्थान पर विधायक प्रमोद नैनवाल और बेतालघाट में उसकी ब्लॉक प्रमुख बहन ने मुख्य उद्यान अधिकारी को अच्छे कार्य का १००% पौधे जीवित होने का प्रमाण पत्र दे दिया ।जिसे सी एच ओ नैनीताल ने अपने काउंटर में कोर्ट में जमा कराया।यदि ये मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी मिशन योजना से दिए गए पौधे थे तो विधायक के भाई से इतनी बड़ी रकम ना लिया जाना सरकारी कोष में चोरी नहीं तो और क्या है?यहां तक कि 2402 पौधे क्लोनल रूट स्टॉक को लगाने का जो मानक है इस आधार पर कम से कम ७० नाली से भी अधिक जमीन होनी चाहिए लेकिन जहां पर ये पौधे लगाए दिखाए गए हैं वहां विधायक और उसके भाई की संयुक्त जमीन केवल 41 नाली है
तो बाकी जमीन जो घेरी गई वह पूरी कहां से आई?दसौनी ने जानकारी देते हुए बताया की बाकी घेरी हुई जमीन लोक निर्माण विभाग, वन विभाग और राजस्व विभाग की है जो विधायक और सरकार के दबाव और मजबूरी में कुछ नहीं कर पा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस काउंटर एफिडेबिट के आधार पर जब सी एच ओ नैनीताल से इन पौधों की सूचना मांगी गई कि कैसे पौधे दिए? किस आधार पर दिए?

किस योजना से दिए?तो उसने सूचना में यह बताया कि उसने ये सभी पौधे विधायक के भाई सतीश नैनवाल को निः शुल्क पौध वितरण योजना के अंतर्गत दिए जो अपने आप में बहुत बड़ा संशय उत्पन्न करता है।इधर विधायक ने अपने बयान में ये बताया है कि उसने बागवानी विकास योजना के तहत ये पौधे लगाए ,जबकि यह योजना केंद्रपोषित है और इसके लिए अलग मानक हैं। विधायक कहते हैं कि माली स्वयं आए थे ,पौधे लगाकर गए तो वे बताएं कितने दिन माली यहां पौधे लगाकर गए और कितने माली आए थे?
दसौनी ने कहा कि यदि उत्तराखंड में विद्यमान भाजपा की धामी सरकार जीरो टॉलरेंस की माला जपती है तो फिर उसे सीबीआई जांच का स्वागत करना चाहिए और सच्चाई को बाहर लाना चाहिए।

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