अग्निवीर गवाते अक्षय लक्ष्मण ने सियाचिन में दी देश के लिए पहली शहादत , जानिए अग्निविर की शहादत पर परिवार को कितनी मिलेगी आर्थिक मदद

 

दी टॉप टेन न्यूज़ देहरादून

भारत के वीर जवान अग्निवीर गवाते अक्षय लक्ष्मण ने देश के लिए सियाचिन ग्लेशियर पर अपनी सेवा देते हुए सर्वेच्च बलिदान दिया। आपको बता दें अग्निवीर गवाते अक्षय लक्ष्मण महाराष्ट्र के रहने वाले थे। काराकोरम रेंज में लगभग 20,000 फीट की ऊंचाई पर मौजूद सियाचिन ग्लेशियर को दुनिया के सबसे ऊंचे सैन्यीकृत क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। सियाचिन ग्लेशियर में देश की रक्षा करने के लिए जवानों को कई तरह की कठिन परिस्तिथियों से गुजरना पड़ता है।

सियाचीन में तैनात महाराष्ट्र के अग्निवीर गवाते अक्षय लक्ष्मण के बलिदान के लिए पूरा देश उनको सलाम कर रहा है। उनका पार्थिव शरीर बुलढाणा जिले के पिंपलगांव सराय गांव में पहुंचा वहीं शाहिद की अंतिम यात्रा में हजारों लोग नम आंखों से शामिल हुए। पिता बताते हैं कि कॉलेज के दिनों से ही अग्निवीर गवाते अक्षय लक्ष्मण को सेना में जाने का मन था। आज उनके इस बलिदान को पूरा देश याद रखेगा।

सरकार की अग्निपथ स्कीम शुरुआत से चर्चाओं में रही है. अग्निवीर गवाते अक्षय लक्ष्मण के बलिदान के बाद विपक्ष ने फिर से इसका मुद्दा बनाया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अग्निवीर गवाते की मृत्यु पर दुख जताया और अग्निपथ योजना को भारत के वीरों के अपमान की योजना करार दिया. उन्होंने कहा कि इसमें न तो सेवा के समय ग्रेच्युटी है, न अन्य सुविधाएं और न ही परिवार के लिए पेंशन है. हालांकि, सरकार ने अग्निवीर के परिवार के लिए आर्थिक सहायता का ऐलान किया है।

सियाचिन में जान गंवाने वाले गवाते अक्षय लक्ष्मण को भारतीय सेना ने आर्थिक मदद देने की तैयारी पूरी कर ली है। रविवार रात ही सेना ने बता दिया है कि लाखों रुपये की राशि अग्निवीर के परिवार को मिलेगी। खास बात है कि सेना का जवाब ऐसे समय पर आया है, जब कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा था कि अग्निवीर योजना ‘भारत के वीरों के अपमान के लिए है।’ साथ ही उन्होंने दावा किया था कि शहीद को ग्रेच्युटी समेत कई अन्य आर्थिक सहयोग नहीं मिलेगा।

आइए जानते हैं, अग्निवीर और सेना के परमानेंट सैनिकों की शहादत पर परिवार को मिलने वाले मुआवजे में क्या अंतर है-

दिन हो या रात, सर्दी हो या गर्मी, सरहद पर सेना के जवान 24×7 हमारी सुरक्षा में तैनात रहते हैं. जरूरत पड़ने पर अपनी जान पर भी खेल जाते हैं. शहीद जवानों के परिवारों के लिए सरकार अलग-अलग तरीके से आर्थिक सहायता सुनिश्चित करती है. सियाचिन बॉर्डर पर अग्निवीर गवाते अक्षय लक्ष्मण के बलिदान के बाद केंद्र सरकार ने अग्निवीर के परिवार के लिए एक करोड़ रुपये की धनराशि का ऐलान किया है, जिसमें कई आर्थिक सहायता शामिल हैं।

अग्निवीर की मत्यु होने पर परिवार को फाइनेंशियल हेल्प

परिजनों को अंशदायी बीमा के रूप में 48 लाख रुपये मिलेंगे.

अग्निवीर के परिवार को 44 लाख रुपये की अनुग्रह राशि भी मिलेगी.

अग्निवीर के परिजनों को अग्निवीर द्वारा योगदान की गई सेवा निधि (30 प्रतिशत) से एक राशि भी मिलेगी, जिसमें सरकार द्वारा समान योगदान और उस पर ब्याज भी शामिल होगा.

साथ ही अग्निवीर की मृत्यु की तारीख से चार साल पूरे होने तक परिजनों को शेष कार्यकाल का भी पैसा मिलेगा. यह राशि 13 लाख से अधिक होगी.

सशस्त्र बल युद्ध हताहत कोष से अग्निवीर के परिजनों को 8 लाख रुपये का योगदान दिया जाएगा.

आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन (AWWA) की ओर से तत्काल 30 हजार रुपये की आर्थिक सहायता.

कुल मिलाकर यह धनराशि 1 करोड़, 13 लाख से अधिक है.

अब हम आपको बताते है कि सेना का जवान शहीद होने पर परिवार को कितनी फाइनेंशियल हेल्प मिलती है

सेना का परमानेंट सैनिक के शहीद होने पर परिवार को आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस के तौर पर 25-45 लाख रुपये मिलते हैं.

आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन, सैनिक कल्याण बोर्ड समेत कई संगठन परिवार की वित्तीय मदद करते हैं.

शहीद जवानों की पत्नियों के हर महीने पेंशन मिलती है.

केंद्र सरकार की ओर से 10 लाख रुपये और शहीद की राज्य सरकार भी वित्तीय मदद मदद देती है.

राज्यों की ओर से मदद के तौर पर दी जाने वाली धनराशि अलग-अलग हैं.

आर्मी सेंट्रल वेलफेयर फंड से 8 लाख रुपये मिलते हैं.

शहीदों के परिवार के बच्चों को पढ़ाई और इलाज के खर्च में छूट देती है

शहीद सैनिकों के बच्चों को पूरी ट्यूशन फीस मिलती है. साथ में स्कूल बस का खर्च और रेलवे पास भी मिलता है.

बोर्डिंग स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों की हॉस्टल फीस दी जाती है. हर साल कॉपी-किताब के लिए 2000 रुपये, यूनिफॉर्म के लिए 2000 रुपये तक और कपड़ों के लिए 700 रुपये तक दिए जाते हैं.

ईसीएचएस में फ्री इलाज भी मिलता है.

शहीदों की पत्नियों या आश्रितों के लिए पुनर्वास महानिदेशालय (डीजीआर) द्वारा पेट्रोल पंप का आवंटन जैसी कई पुनर्वास योजनाएं भी चलाई जाती हैं.

शहीद के परिवारों को एलपीजी गैस एजेंसी लेने में भी छूट मिलती है.

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