सीएम त्रिवेंद्र ने उत्तराखण्ड में भी एनआरसी पर जताई सहमति

दीपक फुलेरा-
टी टॉप टैन न्यूज़-(देहरादून)– पूरे देश मे इस वक्त जंहा एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन का मुद्दा छाया हुआ है। वही आसाम के बाद हरियाणा,यूपी होते हुए एनआरसी का तूफान अब उत्तराखण्ड भी पहुँच चुका है। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी उत्तराखण्ड में भी एनआरसी लागू करने की बात कही है। हालांकि एनआरसी पर मंत्रिमंडल पर चर्चा के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
पूर्वोत्तर राज्य आसाम में एनआरसी के लागू होने के बाद जंहा पूरे देश मे कई भाजपा शासित राज्यो के मुख्यमंत्रियो ने अपने राज्यो में भी एनआरसी लागू करने की बात कह इस मुद्दे को पूरे देश मे जारी करने को हवा दे दी है।हालांकि आसाम में लगभग 19 लाख लोगों के नेशनल रजिस्टर ऑफ सीटीजन से बाहर होने के बाद इसका विरोध सामने आया है। लेकिन देश मे रह रहे घुसपेठियों या बाहरी तत्वों की पहचान करने के उद्देश्य से एनआरसी को अब देश के कई राज्य अपने अपने राज्यो में लाने की बात कह रहे है। इस लिस्ट में एक नाम अब उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र का भी जुड़ गया है। हालांकि इससे पहले हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर व यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ भी एनआरसी को अपने अपने राज्यो में लागू करने की बात कह चुके है। वही उत्तराखण्ड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का एनआरसी पर अपना तर्क है कि उत्तराखण्ड अंतराष्ट्रीय सीमाओं से घिरा राज्य है। इसलिए इसमें बाहरी लोगों के घुसपैठ की संभावनाए अधिक है। इसलिए वह मंत्रिमंडल से चर्चा के बाद उत्तराखण्ड में भी एनआरसी लागू कर सकते है। जबकि उत्तराखण्ड के संदर्भ में एनआरसी पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह के बयान के बाद कांग्रेस इसके विरोध में उतर गई है। कांग्रेस का कहना है कि मुख्यमंत्री एनआरसी की बात कर अन्य मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहते है। अगर मुख्यमंत्री को लगता है कि उत्तराखण्ड में बाहरी घुसपैठ है तो उसे वह स्पष्ठ करे।फिलहाल सीएम त्रिवेंद्र ने सीमान्त राज्य उत्तराखण्ड में एनआरसी को बेहद जरूरी बताया है।साथ ही एनआरसी पर कैबिनेट पर प्रस्ताव लाने की बात कही है।
एनआरसी का देश मे उदय
देश मे सबसे पहले एनआरसी को 1951 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की सरकार आसाम में लेकर आई थी।उसके बाद 1975 में असम स्टूडेंट यूनियन ने एनआरसी को अपडेट करने की मांग की थी। हालांकि बाद में आसाम में एनआरसी की प्रक्रिया आगे नही बाद सकी। लेकिन 2013 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एनआरसी की प्रक्रिया आसाम में फिर शुरू हुई थी। एनआरसी पर सरकार द्वारा जारी पहली लिस्ट में जंहा लगभग 40 लाख लोग आसाम में बाहर के पाए गए। लेकिन विरोध के बाद पुनः इसकी समीक्षा के बाद अब भी 19 लाख के लगभग आसाम में लोग एनआरसी में जगह नही बना पाए है।आसाम में जंहा 25 मार्च 1971 से पहले के निवासी आसाम के नागरिक माने गए है। लेकिन बांग्लादेश से भारी मात्रा में समय समय पर हुई घुसपैठ के बाद आसाम में एनआरसी को लागू किया गया था। इसका मूल उद्देश्य देश मे विदेशी व भारतीय नागरिकों की पहचान करना है। लेकिन अब वर्तमान समय मे एनआरसी का तूफान आसाम से होता में देश के अन्य राज्यो में भी पहुँचने लगा है। उत्तराखण्ड,यूपी हरियाणा के सीएम जंहा एनआरसी को अपने राज्य में लागू करने की बात कह चूके है। वही देखना होगा कि आने वाले समय मे एनआरसी कानून देश के कितने राज्यो में लागू होता है।