दी टॉप टेन न्यूज़ देहरादून
देहरादून: सनातन परम्परा के प्रतीकों में से एक श्री राम 500 साल के लंबे इंतजार के बाद अब 22 जनवरी को अपने मूल अवतारी स्थल पर प्रतिष्ठापित होने जा रहे हैं। विदेशी आततायी बाबर द्वारा अतिक्रमित श्री राम मंदिर आज पूरी भव्यता के साथ तैयार हो रहा है। मंदिर के इस स्वरूप को पाने में जहां प्रत्यक्ष तौर पर योगदान देने के वालों को दुनिया जानती है, वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जिनका अपरोक्ष योगदान जानना भी जरूरी है। इन्हीं में एक हैं डॉ राजेंद्र सिंह और उनकी पत्नी अलका सिंह।
डॉ राजेंद्र सिंह बताते हैं कि उनकी नियुक्ति 1992 में देहरादून जिले के विकासनगर में राजकीय होम्योपैथी चिकित्सालय भुड्डी में थी। इससे पहले वे 1987 में डाकपत्थर के परियोजना हॉस्पिटल में कार्यरत रहे थे, जहां संघ कार्यकर्ता राम चन्द्र द्विवेदी, बीके त्यागी, सोलन्की जी, भारत भूषण, डीपी सिंह, एक कपड़े वाले जैन साहब सिंचाई विभाग परियोजना में जेई थे। उनके संपर्क में आकर डॉ राजेंद्र सिंह भी संघ कार्यों से जुड़ गए। फिर उनका स्थानांतरण देहरादून हो गया।
यह वह दौर कांग्रेस और मुलायम सिंह सरकार का था। तब संघ कार्यकर्ताओं को बहुत परेशान किया जाता था। इसी दौरान
भाजपा नेता लालकृष्ण अडवाणी और विहिप नेता अशोक सिघंल के नेतृत्व में राम मन्दिर के लिए रथ यात्रा निकाली गई। साथ ही कार सेवकों ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया। इस घटना के बाद देश भर में संघ कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियां शुरू हो गई।
बीके त्यागी, भारत भूषण, राम चन्द्र द्विवेदी, सोलंकी, डीपी सिंह एक दिन अचानक डॉ राजेंद्र सिंह के घर आ पहुंचे। तब वे देहरादून सब्जी मंडी के पास किराए पर दो कमरे लेकर रह रहे थे। डॉ राजेंद्र सिंह ने सोचा कि शायद वे लोग उनको मिलने आए हैं। सुबह से शाम हो गई। फिर रात्रि भोजन भी हो गया, लेकिन मेहमान डटे रहे। इधर उनके जाने के इंतजार होता रहा और उधर वे लोग कमरे से हिलने को तैयार नहीं।
काफी संकोच के बाद बीके त्यागी ने आखिर कह ही दिया कि, डॉक्टर साहब आज वे लोग यहीं रहेंगे। दरअसल वे लोग अब तक यह सोच कर चुप थे कि सत्य पता चलने पर मेजवान परिवार भयभीत न हो जाए। साथ ही पुलिस आदि के भय से मकान मालिक उनके रहने पर ऐतराज न करे क या फिर संविदा पर नौकरी कर रहे डॉक्टर पर कोई संकट न आ जाए। रात को सभी लोग एक कमरे में क दरी बिछाकर जमीन पर सोये।
अगले दिन अखबारों से पता चला उसी रात को पुलिस पीछे की दीवारे फांद कर इन लोगों के डाकपत्थर स्थित घरों में घुस गई थी। सबके पत्नी- बच्चों को पुलिस ने बहुत परेशान और भयभीत किया। पुलिस सभी को इधर-उधर तलाशती रही, लेकिन सुराग न लगा पाई।
इधर, अब डॉक्टर को डर पुलिस का डर सताने लगा कि सब पकड़े गए तो बमुश्किल मिली नौकरी और नई-नई पत्नी दोनों के लिए दिक्कत तय है। लेकिन, अपने डर को छिपाकर उनकी पत्नी ने सबको खाना बनाकर खिलाया। खैर तमाम दुविधाओं दिक्कतों के बीच जब मामला शान्त हुआ तो करीब ऐसे एक सप्ताह बाद सभी राम मंदिर के योद्धा लौट गए।
वर्तमान में जीएमएस रोड देहरादून में निवास कर रहे डॉ राजेंद्र सिंह और उनकी पत्नी बड़े भावुक होकर कहते हैं कि आज अयोध्या में रामजी का मन्दिर बन रहा है ओर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। यह हमारा सौभाग्य है कि हम इस जन्म में इस पल को पाने के लिए ही आंदोलन में गिलहरी जैसा योगदान दे पाए। जो डर उस वक्त राम सेवकों की मदद करते था, उससे रक्षा भी राम जी ने की और आज हम अपनी आंखों से इस पुण्य दायक पल को देख पाएंगे। हमारे बीच सोलंकी जी, भारत भूषण जी, डीपी सिंह अब नहीं हैं। राम चन्द्र द्विवेदी जी भी उत्तर प्रदेश चले गये और बीके त्यागी मेरठ में संघ का दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं।
आंखों में खुशी के आंसू लिए डॉ राजेन्द्र सिंह कहते हैं कि, मेरा मानना है जीवन में कभी-कभी ऐसे क्षण भी आते हैं रामजी को जिससे जो कार्य कराना है वह पूर्व निधर्धारित होता है।