उत्तराखंड में इस जगह लगे भूकंप के झटके,5.8 तीव्रता के झटको से भवन क्षतिग्रस्त,प्रशासन ने संभाली कमान

 

दी टॉप टेन न्यूज़, देहरादून

देहरादून : आज प्रदेश में 5 .8 रियेक्टर स्केल का भूकंप आया है आपदा कंट्रोलरुम से सभी तहसील एवं पुलिस थानों में अलर्ट किया गया है कि यदि किसी क्षेत्र में भूकंप से सम्बन्धित कोई सूचना है तो तत्काल DEOC को अवगत कराएं।

आज प्रातः 9:30 बजे राज्य में आए 5.8 रिक्टर स्केल, के भूकंप आया ।

आपदा कंट्रोल रूम पर प्रातः 09:45 बजे कॉल प्राप्त हुई कि भूकंप से जीजीआईसी राजपुर रोड के भवन के क्षतिग्रस्त हो गई है, तथा क्षतिग्रस्त भवन में बच्चों के फसे होने की सूचना है।

भूकंप की सूचना पर कंट्रोलरूम में आईआरएस से जुड़े अधिकारियों ने संभाला मोर्चा।

कंट्रोलरूम से संबंधित अधिकारियों को सूचना पर उप जिलाधिकारी सदर घटना स्थल पर पंहुचे।

स्टेजिंग एरिया में टीमों को निर्देशित करते अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व रामजीशरण शर्मा।

मुख्य विकास अधिकारी सुश्री झरना कमठान घटना स्थल पर उपस्थित होकर ले रहीं रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा।

 

देहरादून में आपदाओं को लेकर की जा रही मॉक ड्रिल

आज राजधानी देहरादून में राज्य में आने वाली आपदाओं के मद्देनजर भूकंप और आग से बचाव के लिए जिला प्रशासन की तैयारी को लेकर एक मॉक ड्रिल किया जा रहा है। इस मॉक ड्रिल में दून से अधिकारी और कर्मचारी भाग ले रहे है।

भूकंप

हम आपको बता दे की जिन जगहों पर भूकंप आने की संभावना बहुत ज्यादा होती है, उन्हें सिस्मिक जोन कहा जाता है. वैज्ञानिकों की भाषा में इन्हें उच्‍च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र कहा जाता है. इसमें भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भूकंप की दृष्टि से खतरनाक और कम खतरनाक जोन में इलाकों को बांटा जाता है. भारत के भूकंपीय इतिहास को देखते हुए इसे 2 से लेकर 5 तक के जोन में बांटा गया है. सिस्मिक जोन में सबसे खतरनाक जोन 5 है, इसके अंतर्गत आने वाली जगहों पर नौ से ज्यादा की तीव्रता का भूकंप आने की संभावना रहती है. वहीं, जोन 2 के इलाकों में सबसे कम तीव्रता का भूकंप आने की आशंका रहती है।

सिस्मिक जोन 5 यानी अति संवेदनशील या सबसे खतरनाक जोन की बात करें, तो इसमें उत्तराखंड के 5 जिले आते हैं. जो रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी हैं. वहीं, सिस्मिक जोन 4 में ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल और अल्मोड़ा जिला शामिल है. वहीं, देहरादून और टिहरी का हिस्सा दोनों जोन में शामिल है. आसान शब्दों में कहें, तो उत्तराखंड के लगभग सभी जिलों में प्राकृतिक आपदाओं के आने की संभावना बनी रहती है. वहीं, मानवजनित गतिविधियों के चलते भी इन जिलों में तेजी से चीजें बदली हैं.

क्यों आता है भूकंप

दरअसल, पृथ्वी की चार प्रमुख परतें हैं, जिसे इनर कोर, आउटर कोर, मेंटल और क्रस्ट कहते हैं। जानकारी के अनुसार, पृथ्वी के नीचे मौजूद प्लेट्स घूमती रहती हैं, जिसके आपस में टकराने पर पृथ्वी की सतह के नीचे कंपन शुरू होता है। जब ये प्लेट्स अपनी जगह से खिसकती हैं तो भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। इस जगह पर सबसे ज्यादा भूकंप का असर रहता है। हालांकि, भूकंप की तीव्रता अगर ज्यादा होती है तो इसके झटके काफी दूर तक महसूस किए जाते हैं।

कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता

बता दें कि भूकंप की तीव्रता का पता लगाने के लिए रिक्टर स्केल का इस्तेमाल किया जाता है। रिक्टर स्केल पर 1 से 9 तक आए भूकंप के झटकों को मापा जाता है। भूकंप के दौरान पृथ्वी के नीचे से ऊर्जा तरंगे निकलती हैं। उसे रिक्टर स्केल के जरिए मापा जाता है। इसके बाद ही यह पता लग पाता है कि भूकंप की तीव्रता कितनी थी और इसका केंद्र किस क्षेत्र में था।

भूकंप के दौरान क्या करें

भूकंप के झटके महसूस होने पर सबसे पहले शांत रहे और अपने आसपास के लोगों को आश्वस्त करें। इस दौरान इमारतों से दूर खुली जगहों पर चले जाएं, जहां आसपास कोई इमारत न हो। जब भूकंप के झटके महसूस हो तो घर में मौजूद लोगों को तुरंत सावधानी बरतनी चाहिए। डेस्क, टेबल, बिस्तर के नीचे छिप जाएं। इस दौरान कांच के दरवाजों, शीशों और खिड़कियों से दूरी बनाकर रखें।

जब तक भूकंप का कंपन बंद नहीं हो जाता है, तब तक अपने घरों में न जाएं। अगर आप कार या बाइक चला रहे हैं तो उस दौरान आपको झटके महसूस होते हैं। तुरंत ही रुकें और गाड़ी में ही बैठे रहें। इसके अलावा भूकंप आने के दौरान मोमबत्तियां, माचिस और अन्य चीजों का इस्तेमाल न करें।

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