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फरीदाबाद हरियाणा- उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी के कातिलों को फांसी दो, पीड़ित परिवार को मुआवजा प्रदान करो। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज मंगलवार को उत्तराखंड जागरूक मंच के बैनर तले उत्तराखंड की विभिन्न संस्थाओं के लोग सेक्टर 12 राजस्थान भवन के सामने एकत्रित हुए। यहां से नारे लगाते हुए लघु सचिवालय के सामने पहुंचे। प्रदर्शनकारी अंकिता भंडारी के हत्यारों को फांसी दो, उसके परिजनों के साथ न्याय करो के नारे लगा रहे थे। प्रदर्शन के फौरन बाद देश के माननीय प्रधानमंत्री के नाम 7 सूत्री मांगों का ज्ञापन नगराधीश नसीब सिंह एच सी एस को सौंपा गया।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने बताया की उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 18 सितंबर को वनतरा रिजॉर्ट में 19 साल की बेटी अंकिता भंडारी जो उस रिजोर्ट में बतौर रिसेप्शनिस्ट के पद पर कार्यरत थी। को देह व्यापार में धकेलने के लिए उसके मालिक ने मजबूर किया। जब बहादुर बेटी ने इस काम को करने से इंकार कर तो दिया तब उस रिसॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य और उसके दो साथियों ने अंकिता भंडारी को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। उसको मारा पीटा गया। अन्त में उसकी निर्मम हत्या करके उसके शव को बैराज में फेंक दिया गया। 4 दिन तक पट्टी पटवारी ने कोई सुनवाई नहीं की। क्योंकि पटवारी के साथ कातिल की सांठगांठ थी। जब पट्टी पटवारी की तरफ से टालमटोल की नीति अपनाई जा रही थी। तब लोगों ने इस केस को पुलिस को सौंपने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाया। जब पीड़ित परिवार के सदस्य थाने में गए। उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई इतना ही उन्हें वहां पर बैठने भी नहीं दिया गया। जबकि कातिल के पिता को पुलिस थाने में सम्मान के साथ बिठाकर चाय पिलाई जा रही थी। पीड़ित परिवार के सदस्य उसी थाने के बाहर गुहार लगाकर के खड़े थे। पुलिस प्रशासन की उनकी तरफ देख भी नही रहा था। जब यह मामला आम जनता के संज्ञान में आया और लोगों ने पीड़ित परिवार को न्याय देने हत्यारों और गुंडा तत्वों को फांसी की सजा देने की मांग को लेकर जब धरने और प्रदर्शन शुरू किए तब उत्तराखंड का सरकार जागी। उन्होंने बताया कि बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली भाजपा की सरकार में बेटियों के साथ इस तरह के जघन्य अपराध हो रहे हैं। उत्तराखंड की सरकार अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करती है। अभी भी उत्तराखंड में पट्टी पटवारी को ही इस मामले में रिपोर्ट दर्ज करने का अधिकार है। उत्तराखंड जागरुक मंच ने देश के प्रधानमंत्री से अंग्रेजों के जमाने के इस कानून को बदलने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अपराधियों के मामले में पुलिस प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए। ना की पट्टी पटवारी को। इसके अलावा मांग पत्र में पीड़ित परिवार को 2 करोड का मुआवजा देने, उत्तराखंड में महिलाओं की सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध करने, उत्तराखंड की शिक्षा को रोजगार प्रदत बनाने, बेरोजगारों को रोजगार देने, जब तक रोजगार नहीं मिलता है। तब तक बेरोजगारी भत्ता लागू करने, इसके साथ-साथ उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की मांग भी ज्ञापन में की गई है।
आज की विरोध सभा को वीरेन्द्र सिंह डंगवाल, कुमाऊं सांस्कृतिक मंडल के अध्यक्ष नन्दन सिंह कडाकोटी, सामाजिक कार्यकर्ता और एनजीओ के अध्यक्ष चंदन सिंह अधिकारी ने सम्बोधित किया और जलूस में डूंगर सिंह नेगी, दिगंबर सिंह खाती, यशपाल सिंह बंगारी, रतन लाल राणा सेक्टर 3, प्रदीप सिंह गुसाईं, जगदीश चंद्र पुजारी, इंदर सिंह बिष्ट, भैरव दत्त शर्मा, ठाकुर सिंह कठायत, कुंदन सिंह रावत, भगत राम उनियाल, गोविंद प्रसाद कुकरेती, आदि अनेक लोग उपस्थित थे।