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उत्तराखंड में बाल श्रम रोकथाम को लेकर आंकड़ों का खेल,सुबह पकड़े बाल श्रमिक शाम को काम पर लौटे, क्या ऐसे रुकेगा बाल श्रम

 

दी टॉप टेन न्यूज़ देहरादून

बुधवार को श्रम विभाग, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल, चाइल्ड लाइन और विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा देहरादून जिले से 31 बाल श्रमिकों को विभिन्न कार्य स्थलों से रेस्क्यू किया गया और बाल कल्याण समिति देहरादून के समक्ष पेश किया गया।
जानकारी के अनुसार अलग-अलग माध्यमों से रेस्क्यू किए गए बच्चों की हालत बेहद दयनीय थी और वह बच्चे बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे. समिति के समक्ष पेश किए जाने पर बच्चों के अभिभावकों को जानकारी दी गई और अभिभावकों से बच्चो से दोबारा यह काम नहीं करवाएंगे का प्रमाण पत्र ले बाल श्रमिकों को अभिभावकों के हवाले कर दिया गया ।

बाल कल्याण समिति से जाने के बाद बच्चे फिर से अपने कार्यस्थल पर पहुंच गए और काम करने लगे,अब सवाल यह उठता है अगर बच्चों को फिर से वही कार्य करना पड़े तो फिर उन्हें रेस्क्यू करने का क्या फायदा ? क्या ये सिर्फ विभागीय आंकड़े जुटाने का खेल है।

इस बारे में बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष से बात की गई तो उन्होंने बताया की इस प्रकार से जो बच्चे बाल श्रम करते पाये जाते है उन्हें श्रम विभाग एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल और चाइल्ड लाइन या अन्य संस्थाओं द्वारा समिति के समक्ष पेश किया जाता है.उन पर हमारा अधिकार नही है बच्चो पर अभिभावकों का अधिकार होता है अगर वह चाहे तो अपने बच्चे समिति को को दे सकते हैं लेकिन समिति ऐसे बाल श्रमिकों को अभिभावकों से छीन नहीं सकती ।अब यहां सवाल खड़ा होता है अगर बाल कल्याण समिति इन बच्चों के लिए अपने अधिकार से कुछ नहीं कर सकती तो फिर इन समितियों के गठन का क्या लाभ है क्या समिति का और इस तरह की सभी संस्थाओं का यह कर्तव्य नहीं बनता कि वह बाल श्रमिकों के उत्थान के लिए और उनके भविष्य के लिए कुछ बेहतर कर सकें।

अगर श्रम विभाग ऐसे बाल श्रमिकों को रेस्क्यू करता है तो विभाग आगे बच्चो के भविष्य के लिए क्या करता है,क्या विभाग बल श्रमिकों को कोई मुआवज़ा देता है क्या जिस संस्थान कार्यस्थल पर बच्चा पकड़ा जाता है के खिलाफ कोई एफ आई आर दर्ज करवाई जाती है और कोई चालानी कार्यवाही होती है, या फिर श्रम विभाग बाल श्रमिकों को समिति के समक्ष पेश कर इतिश्री कर लेता है।

और एन्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल का बाल श्रमिकों को उस दलदल से निकालने की क्या भूमिका है? या फिर सभी संस्थाएं सिर्फ आकंड़े जुटाने का कार्य करती हैं।

इस संबंध में जब श्रम विभाग के अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह पूरी कार्यवाही तक उपस्थित नही रह पाए थे. इस बारे में जानकारी लेने के लिए अपने अधीनस्थ का नंबर उपलब्ध करवाया जिस पर कई बार कॉल करने पर भी उक्त अधिकारी से संपर्क नही हो पाया।

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