दी टॉप टेन न्यूज़ /देहरादून
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बुधवार को डीपीएमआई सभागार न्यू अशोक नगर नई दिल्ली में म्येरू पहाड़ फाउण्डेशन द्वारा उत्तराखण्ड में सर्वप्रथम समान नागरिक संहिता विधेयक विधान सभा से पारित होने पर सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम में बडी संख्या में बुद्धिजीवियों, जनप्रतिनिधियों एवं अन्य गणमान्य लोगों द्वारा प्रतिभाग किया गया। उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता लागू किये जाने के लिये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों की सभी ने प्रशंसा की। मुख्यमंत्री ने राज्य विधान सभा में नागरिक संहिता विधेयक पास होने के पीछे उत्तराखण्ड की जनता का आशीर्वाद बताते हुये कहा कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह कानून मील का पत्थर साबित होगा। मुख्यमंत्री ने इसके लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्र सरकार तथा प्रदेश की देवतुल्य जनता का भी आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री ने संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर एवं पं. दीन दयाल उपाध्याय को नमन करते हुए कहा कि देश में सभी के लिये सभी के लिये समान कानून लागू करने का हमारा संकल्प रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार ने समान नागरिक संहिता पर देवभूमि की सवा करोड़ जनता से किये गए अपने वादे को निभाया है। हमने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश की जनता से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ’’एक भारत और श्रेष्ठ भारत’’ मन्त्र को साकार करने के लिए उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था। प्रदेश की देवतुल्य जनता ने हमें इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपना आशीर्वाद देकर पुनः सरकार बनाने का मौका दिया। सरकार गठन के तुरंत बाद, जनता जर्नादन के आदेश को सिर माथे पर रखते हुए हमने अपनी पहली कैबिनेट की बैठक में ही समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया और 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिये 43 जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किये जाने पर समिति को विभिन्न माध्यमों से लगभग 2.33 लाख सुझाव प्राप्त हुए। प्राप्त सुझावों का अध्ययन कर समिति ने उनका रिकॉर्ड समय में विश्लेषण कर अपनी विस्तृत रिपोर्ट 02 फरवरी 2024 को सरकार को सौंपी तथा 7 फरवरी को विधान सभा द्वारा पारित कर 11 जुलाई को राष्ट्रपति महोदया द्वारा इसे स्वीकृति प्रदान की है। उन्होंने कहा कि इसकी नियमावली बनाने के लिये समिति का गठन किया गया है। समिति की रिपोर्ट प्राप्त होते ही इस वर्ष अक्टूबर तक इसे प्रदेश में लागू कर दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार से इस देवभूमि से निकलने वाली मां गंगा अपने किनारे बसे सभी प्राणियों को बिना भेदभाव के अभिसिंचित करती है उसी प्रकार राज्य विधान सभा से पारित समान नागरिक संहिता के रूप में निकलने वाली समान अधिकारों की संहिता रूपी ये गंगा हमारे सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सभी नागरिकों के लिए समान कानून की बात संविधान स्वयं करता है, क्योंकि हमारा संविधान एक पंथनिरपेक्ष संविधान है। यह एक आदर्श धारणा है, जो हमारे समाज की विषमताओं को दूर करके, हमारे सामाजिक ढांचे को और अधिक मजबूत बनाती है। उन्होंने कहा कि माँ गंगा-यमुना का यह प्रदेश, भगवान बद्री विशाल, बाबा केदार, आदि कैलाश, ऋषि-मुनियों-तपस्वियों, वीर बलिदानियों की इस पावन धरती ने एक आदर्श स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में उल्लिखित होने के बावजूद अब तक इसे दबाये रखा गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता समाज के विभिन्न वर्गों, विशेष रूप से माताओं-बहनों और बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करने में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों को रोका जाए। हमारी माताओं-बहन-बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त किया जाए। हमारी आधी आबादी को सच्चे अर्थों में बराबरी का दर्जा देकर हमारी मातृशक्ति को संपूर्ण न्याय दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में बीते दश वर्षों में शक्तिशाली समाज एवं देश के विकास में अनेक महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं। विकसित भारत का सपना देखने के साथ भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उनके नेतृत्व में यह देश तीन तलाक और धारा-370 जैसी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के पथ पर अग्रसर है। उनके नेतृत्व में सैंकड़ों वर्षों के बाद अयोध्या में रामलला अपने जन्मस्थान पर विराजमान हुए हैं, और मातृशक्ति को सशक्त करने के लिए विधायिका में 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने समान नागरिक संहिता में लिव इन संबंधों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हुए कहा कि एक वयस्क पुरुष जो 21 वर्ष या अधिक का हो और वयस्क महिला जो 18 वर्ष या उससे अधिक की हो, वे तभी लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे, जब वो पहले से विवाहित या किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप में न हों और कानूनन प्रतिबंधित संबंधों की श्रेणी में न आते हों। लिव-इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को लिव-इन में रहने हेतु केवल पंजीकरण कराना होगा जिससे भविष्य में हो सकने वाले किसी भी प्रकार के विवाद या अपराध को रोका जा सके।
मुख्यमंत्री ने दो दिन पहले जम्मू कश्मीर में शहीद हुए वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड देवभूमि के साथ वीर भूमि भी है। यहां लगभग हर परिवार से कोई न कोई सेना, अर्द्ध सैन्य आदि बलों से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड का नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य देश दुनिया के लोगों को आकर्षित का केंद्र रहा है। देवभूमि उत्तराख्ण्ड के मूल स्वरूप को बनाये रखने के लिये राज्य में हमने जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कठोर कानून बनाया गया है। हमारी सरकार लैंड जिहाद को जड़ से खत्म करने के लिए लगातार कार्यवाही कर रही है। अब तक 5 हजार हेक्टेयर भूमि को अतिक्रमण मुक्त किया गया है। दंगा करने वाले दंगाइयों से ही सारे नुकसान की भरपाई का नियम लागू किया गया है। हमारी सरकार सरलीकरण, समाधान, संतुष्टि के साथ-साथ विकल्प रहित संकल्प की मूल भावना को साकार करने की दिशा में अग्रसर है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता का अभाव था, परन्तु हमने भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने का कार्य किया तथा राज्य में देश के सबसे कठोर “नकल विरोधी कानून बनने के बाद पारदर्शिता के साथ ही अब समयबद्ध तरीके से परीक्षाएं संपन्न हो रही है। उन्होंने कहा कि यह नकल विरोधी कानून का ही प्रतिफल है कि हम हर रोज अलग अलग विभागों में योग्य युवाओं को नियुक्ति पत्र प्रदान कर उन्हें रोजगार देने का कार्य कर रहे हैं। अब तक 15 हजार से अधिक युवाओं को पारदर्शिता के साथ सरकार नौकरी दी गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र पर आगे बढ़ कर जनहित के कार्य किए जा रहे हैं। आज उत्तराखंड विकास और विश्वास के अभूतपूर्व माहौल में, जन आकांक्षाओं को पूरा करते हुए आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका सम्मान उत्तराखण्ड की देवतुल्य जनता का सम्मान है।
म्येरू पहाड फाउण्डेशन के अध्यक्ष प्रो. दयाल सिंह पंवार, एडवोकेट सतीश टम्टा, पूर्व आईएएस कुलानंद जोशी देवेन्द्र जोशी आदि ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर आपदा प्रबंधन सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष विनय रोहिला, प्रो ललिता गांधी, डॉ धर्मा रावत आदि उपस्थित थे।