उत्तराखंड विधानसभा ने रचा इतिहास ऐतिहासिक समान नागरिक संहिता विधेयक-2024 विधानसभा में ध्वनिमत से पास

 

दी टॉप टेन न्यूज़ देहरादून

देहरादून : उत्तराखंड विधानसभा में आज शाम 5 बजे यूनिफॉर्म सिविल कोड 2024 विधेयक ध्वनिमत से पास हो गया और इसके साथ ही यूसीसी बिल पास करने वाली उत्तराखंड विधानसभा देश की पहली विधानसभा बन गई है।

हालांकि यूसीसी विधेयक के प्रावधानों पर कांग्रेस, बसपा और निर्दलीय विधायकों ने आपत्ति दर्ज कराई लेकिन सरकार ने संख्या बल के आधार पर विपक्ष की आपत्तियों को दरकिनार कर विधेयक पारित करा ही लिया।
अब बिल को मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा. राज्यपाल के दस्तखत होते ही ये कानून बन जाएगा. इसके साथ ही राज्य के सभी लोगों पर समान कानून लागू हो जाएंगे. हालांकि, अनुसूचित जनजाति के लोगों पर इसके प्रावधान लागू नहीं होंगे. समान नागरिक संहिता का वादा बीजेपी ने 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान किया था. वहीं पुष्कर सिंह धामी की सरकार बनने के बाद इसे लेकर समिति बनाई गई थी. इस समिति ने ढाई लाख से ज्यादा सुझावों के बाद यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार किया था. हालांकि इससे पहले गोवा में समान नागरिक संहिता लागू है, लेकिन वहां पुर्तगाल के शासन काल से ही ये लागू है।
उत्तराखंड आजाद भारत का पहला प्रदेश होगा जहां समान नागरिक संहिता लागू होगी। वहीं सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद समान नागरिक संहिता लागू करना वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन इतिहास के पन्नो में भी दर्ज हो जाएगा।
बिल पास होने के बाद उत्तराखंड विधानसभा सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है।

यूसीसी विधेयक में क्या है कुछ खास

इस संहिता में विवाह की आयु जहां एक ओर सभी युवकों के लिए 21 वर्ष रखी गई है, वहीं सभी युवतियों के लिए इसे 18 वर्ष निर्धारित किया गया है।अब इस कानून के जरिए दंपती में से यदि कोई भी, बिना दूसरे की सहमति से अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से विवाह विच्छेद करने और गुजारा भत्ता लेने का पूरा अधिकार होगा। जिस प्रकार से अभी तक जन्म व मृत्यु का पंजीकरण होता था, उसी प्रकार की प्रक्रिया को अपनाकर विवाह और विवाह विच्छेद दोनों का पंजीकरण भी किया जा सकेगा। यह पंजीकरण एक वेब पोर्टल के माध्यम से भी किया जा सकेगा।
लिव इन रिलेशनशिप को कुछ शर्तों के साथ मान्यता दी गई है. विधेयक के मुताबिक लीगल रिलेशनशिप में रहने वाले लड़के और लड़की की उम्र 21 साल से कम नहीं होनी चाहिए. 21 साल से नीचे के जोड़े को लिव इन रिलेशनशिप में रहने की इजाजत या मंजूरी परिजनों से लेनी होगी. रजिस्टार ऑफिस में जानकारी देने के बाद लिव इन रिलेशनशिप में एक साथ रह पाएंगे. लिव इन रिलेशनशिप को समाप्त करने की जानकारी भी रजिस्ट्रार ऑफिस को देनी होगी. यूसीसी बिल के प्रावधानों में सबसे बड़ी बात लिव इन रिलेशन से पैदा हुए बच्चे पर कही गई है।

लिव इन रिलेशनशिप के क्या हैं प्रावधान?

नए कानून में लिव इन रिलेशन से जन्म लेने वाले बच्चों को भी अधिकार दिया गया है. यूसीसी कानून बन जाने के बाद लिव इन रिलेशनशिप और शादी में बहुत ज्यादा अंतर नहीं रह जाएगा. शादी से अलग होने के लिए पति-पत्नी को तलाक का सहारा लेना पड़ता है. लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे जोड़े को अलग होने के लिए ऐसा नहीं करना होगा. रिश्ते से बाहर निकलने के लिए पार्टनर को स्वेच्छा से अलग होने की जानकारी रजिस्टार ऑफिस को देनी होगी. अलगाव की सूरत में लिव इन रिलेशन से पैदा हुए बच्चे की कस्टडी के लिए पार्टनर को अदालत का रुख करना होगा।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विकसित भारत का सपना देख रहे हैं। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रही है। उनके नेतृत्व में यह देश तीन तलाक और धारा-370 जैसी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के पथ पर है। समान नागरिक संहिता का विधेयक पीएम द्वारा देश को विकसित, संगठित, समरस और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए किए जा रहे महान यज्ञ में हमारे प्रदेश द्वारा अर्पित की गई एक आहुति मात्र है। यूसीसी के इस विधेयक में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत जाति, धर्म, क्षेत्र व लिंग के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है। हमनें संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत वर्णित हमारी अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा है, जिससे उन जनजातियों का और उनके रीति रिवाजों का संरक्षण किया जा सके।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि माँ गंगा व यमुना की उद्गम स्थली देवभूमि उत्तराखण्ड से निकली UCC के रूप में समानता और समरूपता की यह अविरल धारा संपूर्ण देश का पथ प्रदर्शित करेगी। यह विधेयक मातृशक्ति के सम्मान एवं उनकी सुरक्षा के प्रति हमारी सरकार की प्रतिबद्धता को भी परिलक्षित करता है।

आज पुनः आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मुखारबिंद से निकली वह शिववाणी याद आती है कि ’21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखण्ड का दशक है’ प्रधानमंत्री के विजन ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ एवं प्रदेशवासियों की आकांक्षाओं के अनुरूप हमारी सरकार ने चुनाव से पूर्व देवतुल्य जनता से किए गए अपने वादे को पूर्ण किया है।

आज 24 साल के सशक्त, स्वाभिमानी एवं ऊर्जावान उत्तराखण्ड को देखकर हमारे राज्य आंदोलनकारियों का मस्तक गर्व से ऊँचा हो गया होगा। हमारे शहीदों के प्रति यह एक सच्ची श्रद्धांजलि है जब हमारा प्रदेश विश्व पटल पर एक नई पहचान बना रहा है।

इतिहास रचने वाली उत्तराखण्ड की विधायिका के सभी माननीय सदस्यों, UCC का ड्राफ्ट बनाने वाली कमेटी के सभी सदस्यगणों एवं अपना बहुमूल्य समर्थन देने वाली देवभूमि की जनता का कोटिशः आभार।

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