2022 का चुनाव नहीं लड़ेंगे डॉ. हरक सिंह रावत

भाजपा को अलविदा कह अब आप का दामन थाम सकते हैं डॉ. हरक सिंह रावत

दी टॉप टेन न्यूज़ देहरादून

आखिरकार वरिष्ठ मंत्री और भाजपा के  नेता हरक सिंह रावत ने 2022 का चुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी है। इसके पीछे उन्हें भवन सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के पद से हटाया जाना है, जिसे उन्होंने बड़ी गंभीरता से लिया है। पिछले दिनों भवन सन्निर्माण कर्मचारी कल्याण बोर्ड की ओर से बंटने वाली साइकिलें आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा बांटी गई थी। डॉ. हरक सिंह रावत के सुपरिचित तथा उनकी खासमखास  सोनिया आनंद के भाई आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी है। ऐसे में सरकार की काफी किरकिरी हुई थी, जिसके कारण हाल ही में सरकार ने उन्हें भवन सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटा दिया था।

डॉ.  हरक सिंह देहरादून लौटने के बाद दो दिन चुप रहे हैं और अब उन्होंने यह बयान दिया है कि वह 2022 का चुनाव नहीं लड़ेंगे।

हरक सिंह रावत के 2022 में चुनाव ना लड़ने के बयान पर जहाँ भाजपा खेमे में कुछ खलबली मची है वही लोग दबी जुबान पे यह भी कह रहे है कि हो सकता है अब हरक सिंह भाजपा को अलविदा कह आप का दामन थाम ले क्योँकि वह पहले भी विभिन्न पार्टिया बदल चुके है और माँ धारी देवी की  पहले भी कसम खा चुके है और इनमें देवता आ चुके है ।

त्रिवेंद्र सरकार ने श्रम विभाग के अधीन कर्मकार कल्याण बोर्ड से जहां डॉ. हरक सिंह रावत को हटाया वहीं पुनर्गठन के नाम पर उनके कई समीपी लोगों को भी हटाने का मन बना लिया है जिसके कारण यह स्थिति पैदा हुई है। कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत का कहना है कि अब उनकी विधानसभा चुनाव लड़ने की बिल्कुल भी इच्छा नहीं है ।

सरकार द्वारा इन अव्यवस्थाओं के कारण भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड को अब पूरी तरह से भंग कर दिया गया है। अब इस बोर्ड में नये सदस्यों को स्थान दिया जाएगा। इस नये बोर्ड का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा।  भवन एवं सन्निर्माण कर्मचार कल्याण बोर्ड का विवाद 2017 से ही चल रहा है और बोर्ड में नियुक्ति को लेकर काफी चर्चाएं रही है। भाजपा सरकार बनने के बाद साल 2017 में बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर डॉ. हरक सिंह रावत ने कार्यभार संभाल लिया था। इससे पहले यह दायित्व श्रम सचिव संभालते थे। डॉ. हरक सिंह रावत ने अपनी करीबी दमयंती रावत को शिक्षा विभाग से प्रतिनियुक्ति पर लेकर इस बोर्ड में सचिव बना लिया, जिस पर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे और डॉ. हरक सिंह बीच काफी चर्चाएं हुई। अरविंद पांडे का मानना है कि दमयंती रावत बिना अनापत्ति के विभाग से हटी हैं जो उचित नहीं है, जबकि डॉ. हरक सिंह रावत का कहना है कि नियुक्ति में प्रक्रिया का पालन हुआ है। इसी प्रकार कई और नियुक्तियां भी जो डॉ. हरक सिंह रावत की इच्छा से हुई है, जिन परअंकुश लगेगा, यह डॉ. हरक सिंह रावत की नाराजगी का बड़ा कारण माना जा रहा है।

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