बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ने अनु सचिव के घर से नाबालिग को कराया मुक्त

दी टॉप टेन न्यूज़ ब्यूरो (देहरादून)- बाल संरक्षण आयोग  की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने शनिवार को उत्तराखंड शासन में अनु सचिव स्तर के अधिकारी के मिलन विहार जीएमएस रोड स्थित आवास  से 12 वर्ष की बालिका को बाल श्रम से मुक्त कराया है इस संबंध में वसंत विहार पुलिस ने भी मुकदमा दर्ज कर लिया  है।

आयोग की अध्यक्ष के अनुसार उन्हें काफी दिनों से इस संबंध में जानकारी मिल रही थी इस कारण उन्होंने आज अनु सचिव के घर जाकर जांच पड़ताल की तो उन्होंने पाया कि वास्तव में वहां एक 12 वर्ष की बालिका  मौजूद है जिसे  वह पहाड़ के गांव से लेकर आए हैं।

इस बारे में  उक्त परिवार ने बताया कि वह बालिका को पढ़ाने के लिए लेकर आए हैंयहां गौरतलब है कि अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने एक आदेश जारी करते हुए कहा था कि कोई भी सरकारी अधिकारी कर्मचारी अपने घर में बाल श्रम नहीं करवाएगा अन्यथा सख्त कार्रवाई की जाएगीइसके बावजूद शासन स्तर पर अधिकारी और उनकी प्रधानाध्यापिका पत्नी द्वारा एक 12 वर्षीय बच्ची को बिना किसी कानूनी कार्रवाई के अपने घर में रखा गया था। इस संबंध में प्रधानाध्यापिका का कहना है कि उन्हें कानून से संबंधित कोई जानकारी नहीं थी बल्कि मैं तो बच्चे का  भला कर रही हूं।
यह मामला हाईप्रोफाइल होने की वजह से जांच अधिकारियों पर दबाव बनना तो तय है इस संबंध में अध्यक्ष से बात करने पर उन्होंने बताया कि शासन स्तर से भारी दबाव बनाया गया है परंतु उनकी टीम बिना दबाव में आए निष्पक्ष जांच जारी रखेगी।

इससे पूर्व भी बाल संरक्षण आयोग ने ऐसे कई मामलों में बालिकाओं को मुक्त कराया है । इस तरह के मामले में स्वयं नागरिकों को भी जागरूक रहना चाहिए और बाल श्रम की जानकारी मिलते ही संबंधित विभागों को या आयोग को सूचित कर एक अच्छे नागरिक की भूमिका अदा करनी चाहिए ।

बाल श्रम का आरोप झूठा है। बच्ची मेरे दूर के रिश्तेदार की बेटी है जो पढ़ाई के लिए यहां आई हुई है। वह सरकारी स्कूल में पढ़ती है।अनु सचिव    

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